बुधवार, दिसंबर 20, 2017

नैना तेरे दरस बिना...!!

बांझ हुए नैना तेरे दरस बिना
इन नैनन का यारा अब क्या करना

इन नैनन से देखा तुझको
अब कुछ देखन को न जिया करे
तुझको देख के जीते मरते थे
अब कैसे जिएं और कैसे मरें
नयनों से अश्क़ झरे ऐसे
जैसे झरता हो कोई झरना

बांझ हुए नैना तेरे दरस बिना....

नयना के सब रंग उतर गए
सपने सब के सब बिखर गए
तुम रंग थे मेरे इन नयनों के
तुम बिन बेरंग हुए नयना
मेरे नयना सजना भूल गए
जब से बिछड़े तुम सजना

बांझ हुए नैना तेरे दरस बिना.....

न देखूँ जग न याद जगे
न तुझको देखन की लाग लगे
जो तू ही मुझसे बिछड़ गया
तो क्यों न बिछड़ें ये नयना
जो तू ही जीवन मे रहा नहीं
तो फिर इन नयनों का क्या रहना

बांझ हुए नैना तेरे दरस बिना
इन नैनन का यारा अब क्या करना....

अनुराग अनंत

कोई टिप्पणी नहीं: