गुरुवार, दिसंबर 07, 2017

संभावनाएं !!

संभावनाएं संभव है सारी संभावना खो दें
और भावनाएं अनाथ भवनों के अहाते में लावारिश पशुओं सी बेड़ दीं जाएं

आँसूओं में बहें आशाएं
और आशंकाओं पर जा कर टिक जाएं आस्थाएं

वो आएं तो शायद इस तरह आएं
कि बदल जाएं सब की सब परिभाषाएं
अपनी पीठ खुजलाने को रीरियाए व्याकरण
और किसी दरबारी कवि सी हो जाएं भाषाएं

जो तुम देखो तो हर आदमी में तुम्हें सधा हुआ आदमी दिखे
हर आदमी में बंधा हुआ आदमी दिखे

मन में पालती मारकर बैठ जाए पागलपन
और जो तुम उसको एक छंटाक परसो
तो ज़िद करके तुमसे मांगे
खाने को एक मन

रात के अंधेरे में गूंजता रहे
'भात-भात' का संगीत
और दूर कहीं कोई माँ
अपने बच्चे की लाश पर
लालसाओं का लेप लगा कर
सुरक्षित कर ले
भीतर बहुत भीतर किसी तहखाने में

संभावना ये भी है कि जब तुम्हें चीख़ कर रोना हो
अपने डर को खोना हो
तुम्हें मिल जाए कोई क़िताब
तुम उसकी प्रस्तावना पढ़ो
और घटित होने पर आमादा किसी घटना की तरह
घटित होने से पहले ही स्थगित हो जाओ
अनुराग अनंत

कोई टिप्पणी नहीं: